प्रति: महाराष्ट्र के माननीय गवर्नर, श्री भगत सिंह कोशयारी
हमें सूचना मिली है कि ओशो के शिष्यों के एक शिष्टमंडल ने ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन, पुणे से संबंधित गतिविधियों के बाबत आपको एक मेमोरैंडम आफ डिमांड प्रस्तुत किया है|
यहां हम आपको एक स्पष्ट विवरण प्रस्तुत करना चाहेंगे ताकि आपके पास सारी सही–सही सूचना हो|
विगत 30 वर्षों से, ध्यान का कार्यक्रम एक पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा कोरेगांव पार्क में चलाया जाता रहा है, जिसे ओशो इंटरनेशनल मेडिटेशन रिजार्ट के नाम से भी, और उससे पहले ओशो कम्यून के नाम से जाना जाता रहा है|
जूरिक में स्थित इंटरनेशनल फाउंडेशन ओशो कम्यून का मालिक ( स्वत्वाधिकारी ) नहीं है| इसकी स्वत्वाधिकारी महाराष्ट्र राज्य के माननीय चैरिटी कमिश्नर के यहां पंजीकृत ट्रस्ट्स हैं, जिनके नाम निओ–संन्यास फाउंडेशन और ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन हैं|
हाल ही में फाउंडेशन ने माननीय चैरिटी कमिश्नर, मुंबई के यहां जमीन के दो प्लाट्स, जिनमें एक स्विमिंग पूल व टेनिस कोर्ट, और एक छोटी सी बिल्डिंग जिसमें लाकर, शौचालय व कपड़े बदलने के कक्ष हैं, के विक्रय के लिए दरख्वास्त दिया है| ये वे प्लाट्स नहीं हैं जहां ध्यान की प्रमुख गतिविधियां संचालित होती हैं|
ध्यान की समस्त गतिविधियां ट्रस्ट के उन प्लाट्स पर संचालित होती हैं जो विक्रय के लिए नहीं हैं – जिनमें वह स्थल भी सम्मिलित है जहां, ओशो के निर्देश के अनुसार, उनकी पवित्र अस्थियां उनके शय्या (बेड) के नीचे रखी गयी हैं| साधक ध्यान के लिए ओशो के शयनागार (बेडरूम) में आते हैं, जो अब च्वांग्त्सू के नाम से जाना जाता है और पहले समाधि के नाम से|
पिछले 15 महीनों के दौरान, कोविड -19 की वजह से, फाउंडेशन का परिसर बंद रखा गया है, अतएव कोई आय नहीं है| पूरे परिसर और इमारतों के रख–रखाव व मरम्मत पर सालाना 07 करोड़ रूपयों का खर्च आता है| अभी फाउंडेशन इन जरूरतों को अपने बचत से पूरा कर रही है|
अतः, फाउंडेशन की आत्मनिर्भरता के लिए इसके ट्रस्टीज ने उन दो प्लाट्स को बेचने का निर्णय लिया है एक बड़ा संग्रहीत फंड बनाने के लिए, जिसके ब्याज से रख–रखाव और मरम्मत का खर्च निकलेगा और जो आनेवाले लम्बे समय के लिए एक मजबूत आर्थिक आधार का काम करेगा|
फाउंडेशन की सामान्य आय का अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय सहभागियों से होता है, जिसके वापस लौटने में कोविड -19 और अब सारी दुनिया में, व भारत में भी – जहां अंतर्राष्ट्रीय टूरिस्ट यात्रा पिछले 15 महीनों से स्थगित है – घूम रहे उसके नए–नए वेरीएंट्स के कारण लंबा समय लगेगा|
कुछ लोग फाउंडेशन की गतिविधियों पर समस्या पैदा करना चाहते हैं| वे दूसरे लोगों को फाउंडेशन के ट्रस्टीज के खिलाफ और उन लोगों के खिलाफ जिन्हें वे पसंद नहीं करते भिन्न–भिन्न अथार्टीज के पास झूठी शिकायतें दायर करने के लिए उकसा रहे हैं|
उनकी चाल सदैव वैसी की वैसी रहती है जो पिछले 10 वर्षों से जारी है| वे शिकायतों की वही की वही लिस्ट अच्छे–भले लोगों को उपलब्ध कराते रहते हैं जो शायद ही कभी मेडिटेशन रिजार्ट पर आये हों, और जिनके पास तथ्यों को जानने का कोई उपाय नहीं है| खासकर, वे यह नहीं जानते कि यही के यही दोषारोपण संबंधित अथार्टीज द्वारा बार–बार ख़ारिज कर दिए गए हैं| वही मसले किसी नए मसले के साथ जोड़ दिए जाते हैं, जैसे कि कोविड -19 से निपटने की चुनौती, ऐसा दिखाने के लिए जैसे कि कुछ नया है जिसकी छानबीन होनी जरूरी है|
तब फिर वे उन लोगों से आग्रह करते हैं कि आप सरीखे महत्वपूर्ण व्यक्तियों से मिलकर इन शिकायतों को संप्रेषित करें|
हम आपसे कुछ पृष्ठभूमि सूचनाएं साझा करना चाहते हैं उस पत्र में लगाए गए झूठे आरोपों को वास्तविक परिप्रेक्ष्य प्रदान करने हेतु|
निम्नलिखित सब कुछ उसी मैनेजमेंट टीम द्वारा निर्माण किया गया है जो वर्तमान के सभी संचालन के लिए भी उत्तरदायी है, और जिसके सभी सदस्य भारतीय हैं|
सन 1987 से आज तक परिसर का कुल क्षेत्र 6 एकड़ से 28 एकड़ हो गया है – याने आज साढ़े चार गुना बड़ा है| इसके साथ 12 एकड़ का वह आदर्श पर्यावरण सार्वजनिक पार्क है जिसमें प्रवेश मुफ्त है| हमने एक गंदे नाले के आसपास की झाड़–झंखाड़ वाली अनुपयोगी जमीन को एक स्वच्छ जल प्रणाली से युक्त सुंदरतम बगीचे में बदल दिया| हमने मुंबई, पुणे, बड़ोदा, अहमदाबाद और कोलकता जैसे बहुत से म्युनिसिपल कार्पोरेशन को इस निर्माण की समूची प्रक्रिया की जानकारी सहित पुस्तिका प्रदान की, जिसका उपयोग उन्होंने इस हरित विकास की पहल को अपने शहरों में ले जाने के लिए किया|
इसी कालावधि के दौरान, यही मैनेजमेंट टीम 89,000 स्क्वेर फीट से आगे 2,52,000 स्क्वेर फीट तक के निर्माण की सर्वेक्षक रही| यह इस अवधि में 3 गुना से अधिक की बढ़ोतरी है|
मेडिटेशन रिजार्ट में आनेवालों की संख्या 400% बढ़ गई है| 30 साल पहले, ओशो के शरीर छोड़ने के समय पर, सम्मिलित हो रहे लोगों में 12-14% भारतीय नागरिक होते थे| अब वह संख्या 67% है| बाकी के 33% लोग सारी दुनिया के 100 से अधिक देशों से आते हैं|
ओशो इंटरनेशनल मेडिटेशन रिजार्ट एक शैक्षणिक फाउंडेशन है, नकि आरती–पूजा की जगह| कोरेगांव पार्क के विकास नियंत्रण के नियम कभी भी आरती–पूजा परिसर की इजाजत न देंगे, और वैसे भी वह ओशो के मार्गदर्शन के पूर्णतः विपरीत होगा|
हम एक मेडिटेशन स्कूल हैं जो भारत की ध्यान की विरासत में से विधियों का उपयोग करता है, और कुछ नई ध्यान विधियां भी जिन्हें ओशो ने समकालीन मनुष्य के लिए निर्मित किया है|
यह संपत्ति जो बिक्री के लिए प्रस्तावित की गयी है, पूरे निर्मित परिसर का 1.5% है| फाउंडेशन इन दो प्लाट्स की बिक्री केवल तभी कर सकता है जब महाराष्ट्र के माननीय चैरिटी कमिश्नर इसकी इजाजत महाराष्ट्र पब्लिक चैरिटी ट्रस्ट ऐक्ट 1950 के अंतर्गत देते हैं, और यह कांपीटेंट अथारिटी के रूप में उनके पास कानूनी प्रक्रिया में है|
दरअसल, यह वही मैनेजमेंट टीम है जिन्होंने मेडिटेशन रिजार्ट की देखभाल की है जो इन 30 वर्षों में चैरिटेबल फाउन्डेशन्स से काम करते हुए ओशो के ज्ञान को वर्तमान सभी माध्यमों से उपलब्ध कराने का काम भी किया है|
“ओशो के बोले गए शब्द उनकी मूलभूत धरोहर है जो आडिओ, वीडिओ, पेपर और डिजिटल रूप में अंकित है| उनके शब्द 650 पुस्तकों के रूप में प्रकाशित हैं और दुनिया की 65 भाषाओँ में अनुवादित किए गए हैं| रेकार्ड्स के माध्यम से, हिसाब लगाया गया है कि ओशो की औसतन दो पुस्तकें दुनिया में कहीं न कहीं प्रतिदिन छपती हैं| उनके शब्द 9000 घंटे के आडिओ और 4000 घंटे के वीडिओ रिकार्डिंग्स पर फैले हुए हैं|”
हमें पता चला है कि आपने पूछा कि क्या ये मसले प्राइम मिनिस्टर और महाराष्ट्र के चीफ मिनिस्टर के ध्यान में लाए गए हैं| वास्तव में उन्हीं लोगों ने दूसरों को उकसाया है कि वे प्राइम मिनिस्टर और महाराष्ट्र के चीफ मिनिस्टर से मिलें और ठीक वैसा का वैसा मेमोरंडम उन्हें भेजें| उनका यह बात आपको न बताना एक नमूना है आपके लिए उनके चोरी–छिपे काम करने की प्रवृत्ति का जिसके माध्यम से ट्रस्ट के काम को क्षति पहुंचाने के अनगिनत प्रयास हुए हैं|
उनके मेमोरंडम में प्रवेश फी की बात भी शामिल है| राष्ट्रीय विजिटर्स की तुलना में हम अंतर्राष्ट्रीय विजिटर्स से दोगुना फी लेते हैं – उसमें भी 10% से 40% की अतिरिक्त छूट का लाभ भी लेते हैं| इसके अलावा, मेडिटेशन थेरेपीज के लिए राष्ट्रीय की तुलना में अंतर्राष्ट्रीय विजिटर्स तीन गुना अधिक देते हैं|
फाउंडेशन की आय का 85% अंतर्राष्ट्रीय विजिटर्स के योगदान से आता है| कहना चाहिए कि राष्ट्रीय लोगों का प्रवेश व ध्यान विदेशियों द्वारा सब्सीडाइज (परिदानित) हो रहा है – मगर इसका उपयोग शिकायत की जड़ के रूप में किया जाता है|
अब जबकि ट्रस्ट अपनी आर्थिक व्यवस्था को अति चुनौतीपूर्ण दौर में, जबकि विदेशी यात्राएं स्थगित हैं, मेडिटेशन रिजार्ट के मनोरंजन भाग की बिक्री के जरीए सम्हालने की कोशिश कर रहा है, तब फिर से यह और–और शिकायतों के लिए बहाने के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है|
इस आर्थिक माडल के कारण हम अलग ढंग से हिसाब करते हैं जो अंतर्राष्ट्रीय सहभागियों से आय का स्रोत बनता है|
पिछले 10 वर्षों में उनके समस्त कानूनी हमलों के बावजूद, जिसमें हमेशा ही उन्हीं–उन्हीं झूठी सूचनाओं से भरपूर सोशल मीडिया केम्पेन एक हिस्सा होता था, सामूहिक पत्रलेखन को बढ़ावा देते हुए, लेकिन एक भी अवसर ऐसा नहीं है जबकि अथार्टीज या कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला दिया हो| इसमें शामिल हैं EOW, Mumbai; ED, EOW, Pune द्वारा जांच–पड़ताल, जोकि वसीयत के बाबत आरोपों की जांच–पड़ताल भी कर रहा था| ये जांच–पड़ताल बाम्बे हाई कोर्ट के दो जजों की बेंच के पर्यवेक्षण में संपन्न किए गए थे| शिकायतकर्ताओं ने बाम्बे हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट बाम्बे हाई कोर्ट से सहमत हुई|
हम आपके सम्माननीय आफिस से निवेदन करना चाहेंगे कि फाउंडेशन या ट्रस्टीज, अथवा लोग जो ओशो के कार्य में संलग्न हैं, के बारे में आपके कोई भी प्रश्न हों तो मैं व्यक्तिगत रूप से, फाउंडेशन के एक ट्रस्टी की हैसियत में, वे सारी सूचनाएं देने में आनंदित महसूस करूंगा जिन्हें आपके सम्माननीय आफिस को किसी भी समय जरूरत हो|
सधन्यवाद,
कृते ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन
ट्रस्टी
मुकेश सारड
You can read the English version of the letter here